मौजूदा समय में रेलवे प्रति वर्ष नयी ट्रेनें लगातार चला रहा रहा परन्तु इसके बावजूद दो-तिहाई यात्री कन्फर्म टिकट से वंचित रह जाते हैं या फिर उन्हें अंतिम समय तक सीट नही मिल पाती है | पीआरएस अर्थात रेलवे की यात्री आरक्षण प्रणाली जिसके द्वारा प्रति वर्ष लगभग पचपन करोड़ यात्री टिकट बुक करते हैं | इतनी बड़ी संख्या में से मात्र 52 फीसदी यात्रियों को ही सीटें मिल पाती हैं जबकि बाकी के 48 फीसद यात्रियों को या तो वेटिंग पर या साधारण टिकट पर यात्रा करनी पड़ती है नहीं तो अंतिम विकल्प उनके पास यात्रा को निरस्त करना ही होता है | और यही वो यात्री भी हैं जिनसे रेलवे की कमाई होती है वो भी अच्छी खासी |
डाटा पर जाएँ तो वर्ष 2016 और 2017 में रेलवे को ऐसे यात्रियों से 1400 करोड़ की आय हुयी थी जबकि वर्ष 2017 और 2018 के बीच ये आंकड़ा 1600 करोड़ तक पहुंच सकता है | वैसे ये आय रेलवे द्वारा रिफंड और टिकट निरस्तीकरण के नियम को सख्त और महंगा बनाने के कारण हो रही है जिसे रेलवे ने वर्ष 2015 में बदला था |
वर्तमान नियमों के अनुसार -
- अगर आप प्रथम एसी का कन्फर्म टिकट निरस्त कराते हैं तो आपको रेलवे को 240 रूपए शुल्क अदा करना होता है |
- अगर आप द्वितीय एसी का कन्फर्म टिकट निरस्त करते हैं तो आपको रेलवे को 200 रूपए का शुल्क अदा करना होता है |
- इसी तरह तृतीय एसी के कन्फर्म टिकट निरस्तीकरण के लिए आपको 180 रूपए अदा करने होते हैं |
- शयनयान श्रेणी के लिए आपको 120 रूपए निरस्तीकरण शुल्क के रूप में अदा करने होते हैं |
- सेकंड क्लास के लिए आपको 60 रूपए का निरस्तीकरण शुल्क अदा करना होता है |
ध्यान रहे की ये सारा शुल्क केवल कन्फर्म टिकट पर ही अदा करना होता है | इसके अलावा बड़ी संख्या यात्री वेटिंग टिकट निरस्त कराते हैं जिसपर उन्हें लगभग पूरा पैसा वापस मिलता है पर इसमें से भी रेलवे थोड़ा बहुत शुल्क यहाँ वहां के नाम पर ले लेता है खासकर ऑनलाइन टिकटों पर |
इसके अलावा अगर ट्रेन प्रस्थान समय से 48 से 12 घंटे पहले आप कन्फर्म टिकट निरस्त कराते हैं तो आपको टिकट शुल्क का पचास फीसद निरस्तीकरण शुल्क अदा करना पड़ता है | और अगर आप ट्रेन प्रस्थान समय के बारह घंटे के अंदर टिकट निरस्त कराते हैं तो आपको रेलवे द्वारा कोई भी पैसा वापस नहीं होता |
प्रतिदिन लाखों की संख्या में यात्री किसी न किसी परिस्थितिवश अपना टिकट निरस्त कराते हैं और रेलवे इस यात्रियों से शुल्क वसूलती है और यात्रियों को ये बोझ वहन करना ही पड़ता है | इन यात्रियों का नुक्सान ही रेलवे का फायदा है |
पिछले वित्तीय वर्ष में रेलवे को अनारक्षित और आरक्षित श्रेणी के यात्रियों से कुल मिलाकर 49 हजार करोड़ रुपये की आमदनी हुई। हालाँकि ये आमदनी मात्र निरस्तीकरण शुल्क से नहीं हुई अपितु रेलवे समय समय पर टिकट जांच अभियान चलाता है जिसमे पकड़े गए बेटिकट यात्रियों से भी जुर्माना वसूलता जाता है | 49 हजार करोड़ रुपये में से 1184 करोड़ रुपये की राशि बेटिकट यात्रियों से वसूली गयी है | वर्ष 2017-18 में ट्रेन का टिकट बुक कराने वालों की संख्या में रिकार्ड 6.25 फीसद का इजाफा हुआ है परन्तु फिर भी रेलवे लाभ दिखाने की बजाय घाटा ही दिखाता है | इसका एक सबसे बड़ा कारण है कि ये इजाफा रेलवे के लिए फायदेमंद एसी श्रेणी डिब्बों के अलावा अन्य श्रेणियों के डिब्बे में हुआ है जैसे अनारक्षित या शयनयान डिब्बे जो रेलवे के लिए लाभप्रद नहीं हैं |